लिव इन रिलेशनशिप में भी मिलेगी क़ानूनी मदद, जानिए क्या कहता है कोर्ट

इस बात में कोई दो-राय नहीं है कि जब आप किसी के प्यार में पड़ते हैं, तो सबकुछ बहुत अच्छा लगता है. आप उस शख्स के साथ अपना हर पल बिताना चाहते हैं और अपने मन में दोनों के भविष्य के ढेरों सपने भी संजोने लगते है. लेकिन कई बार ऐसा भी होता हे की हम कानून की मदद लेना चाहते है. लेकिन जानकारी के अभाव में हम अपने प्यार को खो भी देते है.

लेकिन लव मैरिज के लिए प्रेमी युगल को कानून की सुरक्षा भी प्राप्त होती है. अगर लड़का और लड़की प्रेमी विवाह करना चाहते है तो मैरिज एक्ट पुरुष की आयु 21 वर्ष से ज्यादा और महिला की उम्र 18 वर्ष से ज्यादा होना जरूरी है.

इसके अलावा शादी करने वाले लड़का और लड़की दोनों ही मानसिक रूप से स्टेबल यानि स्वस्थ होने चाहिए. शादी करने वाले लड़का और लड़की को मैरिज रजिस्ट्रार के सामने अपनी शादी का आवेदन देना होता है.

मैरिज एक्ट 1954 अधिनियम दिया गया है कि कोई भी प्रेमी युगल कोर्ट में जाता है तो अलग अलग मैरिज एक्ट बने हुए है जिनके तहत विवाह कराया जाता है. इसके साथ ही अंतर धर्म विवाह के लिए भी कानून व्यवस्था की गई है.

लिव इन रिलेशनशिप में कैसे देता है कानून संरक्षण

लिव इन रिलेशनशिप की जड़ कानूनी तौर पर संविधान के अनुच्छेद 21 में मौजूद है. अपनी मर्जी से शादी करने या किसी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने की आजादी और अधिकार को अनुच्छेद 21 से अलग नहीं माना जा सकता.

CRPC की धारा 125 में संशोधन किया गया था. समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों का पालन करते हु्ए यह सुनिश्चित किया गया था कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाएं या वो महिलाएं जिन्हें उनके पार्टनर ने छोड़ दिया है, उन्हें वाइफ (पत्नी) का दर्जा मिले.

उदयपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता हरिश पालीवाल ने बताया कि अगर कोई लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा है तो उस युवती को भी वही अधिकार होते है जो एक पत्नी को शादी के बाद होते है. लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली लड़की और लड़का कानून की मदद ले सकते है.

क्या होगा जब परिवार और समाज हो खिलाफ

अधिवक्ता हरीश पालीवाल ने बताया कि अगर प्रमी युगल के खिलाफ परिवार और समाज है तो उन्हें कानूनी संरक्षण दिया जाता है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से सभी जिलों के पुलीस प्रशासन को निर्देश दिया हुआ है.

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